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हेलो जेंटलमैन / आशुतोष सिंह 'साक्षी'

हैलो जेंटिल मैन! कैसे हो?
बहुत सुन्दर बहुत स्मार्ट लग रहे हो
तुम इन कपड़ों में।

लगता ही नहीं कि तुम अभी अभी
खून कर करके आ रहे हो।
तुमने खून किया है, हाँ खून किया है।

अपने सुविचारों का, इंसानियत का
और आत्मा का।
जिसने तुम्हें कई बार रोका था।
लोगों को भड़काने से,
जिसने तुम्हें मना किया था
औरतों और बच्चों को जलाने से।

मगर तुम नहीं माने, तुम्हारे हाथ नहीं काँपे।
भूल गये तुम ईद की सेंवईयों को।
भुला दिया तुमने दीवाली की मिठाइयों को।

तोड़ दिया प्रेम और सद्भावना का बाँध।
फैला दी फ़िज़ा में कट्टरता, बर्बरता
और नफ़रत का ज़हर।

ओह माफ करना।
वैसे तुम बहुत सुन्दर लग रहे हो
इस सफ़ेद, साफ कुर्ते-पायजामे में।

कितने बेदाग़ हैं तुम्हारे ये कपड़े।
काश! तुम अपनी आत्मा पर लगे
दाग़ को भी साफ कर सकते॥