सृष्टा की सृष्टि पे हम हैं हैरां
कुदरत के स्वेटर बुने किस तरह
जीवन ने ये रंग चुने किस तरह
बड़ा खूबसूरत बनाया जहाँ
हैरान हैं हम-बड़े ही हैरां
परिन्दे चहकते पर फड़फड़ाते
संगीत की मीठी ताने सुनाते
मौसम लगाकर पंख आते जाते
कई-कई सौगातें लाते यहाँ
हैरान हैं हम बड़े ही हैरां
लेकिन यहीं पर बहुत गंदगी है
घुन लग गई खोखली जिं़दगी है
खुशी गुम गई, किसने साजिश रची है
रोती बिलखती छोटी-बड़ी जान
हैरान हैं हम, बड़े ही हैरां
दुःखों के कारण समझ आ गये हैं
कारण हमें बहुत तड़पा गये हैं
हमें दूर करनी है मानव की पीड़ा
संकल्प अपने हुयें हैं जवान
हैरान हैं हम बड़े ही हैरां
आशा की किरणें लायेंगे हम
दुःख के अंधेरे मिटायेंगे हम
खुशी ही खुशी रौशनाई लिखेगी
सुंदर बनायेंगे फिर से जहाँ
सतयुग लायेंगे फिर से यहाँ