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है कहाँ कोई / रोहित रूसिया

है कहाँ कोई
किसी के साथ

जागती रहती हवेली
रात भर
ताकती अपना ही वैभव
हाथ भर
चौंधियाती रौशनी की
छाँव में
चैन से सोये हुए
फुटपाथ

शब्द भी जिनके लिए
बेमोल हैं
और रिश्ते
भोथरे हैं, खेल हैं
किस ज़ुबां में
उनको हम
समझाएँ अपनी बात

है कहाँ कोई
किसी के साथ