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होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो
हिपड़ा इतरो पाणी
होजी जूड़ो छोड़ी ने न्हावण बैठिया
ईश्वरजी घर की राणी
होजी झाला झलके, झुमणा रक के
वोले अमरित वाणी
होजी अमरित का दोई प्याला भरिया
कूंक दी पिंगाणी