ज्यों हँसता है
छोटा बच्चा
और इक पौ सी
फट जाती है
सुन हँसते हैं
सूरज बाबा
ये दूध भरी बातें तेरी
जब शाम का
होता है झुरमुट
और पथिक
लौटते है घर को
तब मन पाखी
हो जाता है
उड़ान मेरी बातें तेरी
भले अँधेरी हो रातें
मैं जगमग जगमग
रहता हूँ
बस सुनता हूँ
और गुनता हूँ
उजास भरी बातें तेरी
जब घिरते हैं
काले बादल
सब उमड़ घुमड़
हो जाता है
मैं कान लगा कर
सुनता हूँ
मल्हार मेरी बातें तेरी
चतुर सुजान
इस दुनिया में
अब तक निपट
अकेला था
अब आँख फैलाये
सुनता हूँ
ज्ञान भरी बाते तेरी
तुम करती
रहती हो बातें
मेंरे रोम
कान हो जाते हैं
हैरानी से
मैं सुनता हूँ
उमंग भरी बाते तेरी