Last modified on 27 नवम्बर 2015, at 03:42

होरी खेलन आयौ श्याम / ब्रजभाषा

   ♦   रचनाकार: चन्द्रसखी

होरी खेल आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥
कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर घोरौ री।
रंग-बिरंगौ करौ आज कारे तो गौरौ री॥ होरी.
पार परौसिन बोलि याहि आँगन में घेरौ री।
पीताम्बर लेओ छीनयाहि पहराय देउ चोरौ री॥ होरी.
हरे बाँस की बाँसुरिया जाहि तोर मरोरौ री।
तारी दे-दै याहि नचावौ अपनी ओड़ौ री॥ होरी.
‘चन्द्रसखी’ की यही बीनती करै निहोरौ री।
हा-हा खाय परै जब पइयां तब याहि छोरौ री॥ होरी.