Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 16:50

होळी / सत्यप्रकाश जोशी

होळी रा रंग-रंग कांईं करौ रे,
म्हारै तन भरिया रंग दस बीस।
हरियौ तौ हिवड़ौ म्हारौ,
हरी हरी कूख म्हारी,
रमणा रौ कोड अखूट।
फाग रमांऊ म्हारा कांन्ह नै।

होळी रा रंग-रंग कांईं करौ रे,
तन म्हारौ पीळौ सिरसूं खेत।
नख म्हारा लाल ममोलिया,
होठां रौ हिंगळूं गै‘रौ
सिंदूरी अमर सुहाग।
फाग रमाऊं म्हारा कांन्ह नै।

म्हारै रंगां री होड कांई करौ रे,
कदै न हीणा पड़सी म्हारा रंग।
धोयां ना धुपसी सुपनै,
तावड़ियै नीं उडसी रे,
मिळसी ना रंगरेजां री हाट।
फाग रमाऊं म्हारा कांन्ह नै।