कर दो सबको यार बराबर !
हो सारा संसार बराबर !
मालिक और मजूर बराबर
बाम्हन और चमार बराबर !
एक एक को दस-दस बँगले
यह अन्याय अपार बराबर !
रोटी कपड़ा घर इलाज पर
सबका हो अधिकार बराबर !
पाँच उँगलियाँ नहीं एक-सी
बात तुम्हारी यार बराबर !
दुगुनी नहीं पर कोई उँगली
यह अंतर स्वीकार बराबर !
धन, धरती पानी बँट जाये
यंत्र, तंत्र, औजार बराबर
उत्पादन के हर साधन पर
श्रमकर का अधिकार बराबर !
कुदरत बराबरी की हामी
उसका है व्यवहार बराबर !
हर प्रजाति के भीतर देखो
रूप, रंग, आकार बराबर !
फूल-फूल तितली -तितली में
समता का विस्तार बराबर !
कुछ लोगों के छलबल का फल
विषम विकल संसार सरासर !
इसे बनाना ही होगा अब
इक वैश्विक परिवार बराबर !
जरारोगपीड़ित अशक्त जन
मिले सभी को प्यार बराबर!
काफिर, मोमिन, आस्तिक, नास्तिक
सब के हों अधिकार बराबर !
सबके लिए बने यह पृथ्वी
सुख सुविधा आगार बराबर!