Last modified on 22 मई 2018, at 14:22

‘लेट’- लतीफा / बालकृष्ण गर्ग

घोडा काफी देरी से जब
पहुँच अपने दफ्तर,
‘रोज लेट आते हो क्यों तुम’
-घुड़का बंदर अफसर।
घोडा बोला-‘नहीं, नहीं सर!
ऐसा कभी न होता;
मैं न लेटता, कभी न लेटा,
खड़े-खड़े ही सोता’।

[बालक, जुलाई 1977]