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110 / हीर / वारिस शाह

एहदी वढ लुडके<ref>कानों के बुंदे</ref> कोह जुंडयां नू गल घुट के डूंघड़े बोड़िये नी
सिर भन्न सू नाल मधानियां दे ढूही<ref>गुदा</ref> नाल खड़ताल<ref>जोर से लात मारनी</ref> तोड़िये नी
एहदा दातरी चाल चा ढिड पाड़ो सूई अखियां दे विच पोड़ये नी
वारस चाक तों एह ना मुड़े मूलों असीं रहे बहुतेरड़ा होड़िये नी

शब्दार्थ
<references/>