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11 / हीर / वारिस शाह

तकदीर सेती मौजू फौत होया<ref>चल बसा</ref> भाई रांझे दे नाल खहेड़दे ने
खाये रज के घूरदा फिरे रन्ना कढ रिकता<ref>मखौल</ref> धीदो नूं छेड़दे ने
नित सजरा<ref>ताज़ा</ref> घाव कलेजड़े दागलां त्रिखियां नाल उचेड़दे ने
भाई भाबीयां वैर दीयां करन गलां एहो झिंजटां नित नबेड़दे ने

शब्दार्थ
<references/>