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198 / हीर / वारिस शाह

काज़ी महकमे विच इरशाद<ref>फरमाया</ref> कीता मन शरह दा हुकम जे जीवना ई
बाअद मौत दे नाल ईमान हीरे दाखल विच बहिश्त दे थीवना ई
नाल जौक ते शौक<ref>इच्छा</ref> दा नूर शरबत विच जनतउलअदन<ref>स्वर्ग में</ref> दे पीवना ई
चादर नाल हया दे सतर<ref>परदा</ref> कीजे काहे दरज हराम दी सीवना ई

शब्दार्थ
<references/>