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208 / हीर / वारिस शाह

कुरब्ब<ref>नेड़ता</ref> विच दरगाह दे तिनां नूं जे जेहड़े हक देनाल नकाहीअन गे
जेहड़े छड के हुकम बे हुकम होए विच हाविए दोजखां डाहीअन गे
मां बाप दे हुकम विच चलन नाल शौक दे ओह विआहीअन गे
जेहड़े नाल तकबरी<ref>घमंड के साथ</ref> करन आकड़ बांग बकरे ईद दे ढाहीअन गे
तन पाल के जिनां खुद-रूई<ref>अहंकार</ref> कीती अगे अग्ग दे आकबत<ref>आखिर को</ref> डाहीअन गे
वारस शाह मियां जेहडे बहुतस्याने काग वांग उह पलक विच फाहीअन गे

शब्दार्थ
<references/>