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288 / हीर / वारिस शाह

रांझे अगे अयाल ने कसम खाधी नगर खेड़यां दे जा धसया ए
यारो कौन सरदार गरां केहड़ा अते लोक कदोकना<ref>कभी का</ref> वसया ए
अगे पिंड दे खूह ते भरन पानी कुड़ियां घतिया हस खड़खसिया<ref>हँसना</ref> ए
यार हीर दा भावें तां एह जोगी किसे भाग भरी चा दसया ए
पानी पी नढा छज्ञवें घाट बूटी सुन पिंड दा नाम खिड़ हसया ए
एहदा नाम है रंगपुर खेड़यां दा किसे लभया ते नहीं दसया ए
अरी कौन सरदार है भाज खानी सखी शूम<ref>कंजूस</ref> केहा नाम जसया ए
अजू नाम सरदार है पुत सैदा जिसने हक रंझेटे दा खसया ए
सिंगी खपरी बन्ह तयार होया लंग<ref>कमर में बाँधा हुआ कपड़ा</ref> चा फकीर ने कसया ए
कदी लए हुलां<ref>शोर</ref> कदी झूलदा ए कदी रो पया कदी हसया ए
वारस शाह कसान जिउं होण राजा मींह औड़<ref>सूखा</ref> दे दिनां विच वसया ए

शब्दार्थ
<references/>