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28 / हीर / वारिस शाह

आख रांझया भा की बनी तेरे देस बाप दा छड सिधार नाहीं
वीरा अम्बड़ी जाया जा नाहीं सानूं नाल फिराक<ref>वियोग, विछोड़ा</ref> दे मार नाहीं
एह बांदियां असीं गुलाम तेरे कोई होर विचार विचार नाहीं
बखश एह गुनाह तूं भाबियां नूं कौन जंमिआ जो गुनहगार नाहीं

शब्दार्थ
<references/>