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330 / हीर / वारिस शाह

कोई असां जेहा वली सिध नाहीं नजर आंवदा जुग जहूर जिहा
दसतार रजवाड़यों<ref>हुशियारपुर के पास एक गाँव</ref> खूब आवे अते बाफता<ref>रेशमी कपड़ा</ref> नहीं कसूर जिहा
कशमीर जिहा कोई मुलक नाहीं नहीं चानना चंद दे नूर जिहा
अगे नजर दे मजा माशूक दा ए अते ढोल सुहांवदा दूर जिहा
नहीं रंन कुलकड़े दुध जेही नाही जलजला<ref>भुचाल</ref> हशेर दे तूर जिहा
सहती जेडना होर झगड़ेल कोई अते सोहना होर ना हर जिहा
खेड़यां जेड ना नेक नसीब कोई कोई थाऊं ना बैतुल<ref>यहूदियों का धर्म स्थान</ref> मामूर जिहा
सहिती जेड ना भला कोई बुरा नाहीं जो कम फतूर जिहा
हिंग जेड ना होर बदबू कोई बासदार ना होर कचूर जिहा
वारस शाह जिहा गुनाहगार नाहीं कोई ताउ ना गरम तंनूर<ref>तंदूर</ref> जिहा

शब्दार्थ
<references/>