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364 / हीर / वारिस शाह

मेरे नाल की पाया ई वैर चाका मथा सौंकनां वांग की डाहया ई
ऐवें घूरके मुलक नूं फिरे खांदा कदी जोतरा मूल ना वाहया ई
किसे जोगिड़े पकड़ फकीर कीतो अनजान ककूहड़ा<ref>एक पक्षी का नाम</ref> फाया ई
बुढी बाप मां नूं रांेदड़ी छड आयों ओहदा अरश दा किंगरा ढाया ई
पेट रखके आपणा आप पाले किते रन्न नूं चा त्राहया ई
सुआह लाईया बानना उलट आई ऐवें कपड़ा चीथड़ा लाहया ई
वारस आखनी हां टल जाह साथों भौंदू<ref>आवारा</ref> साध लधोंदड़ा<ref>मिला</ref> ई

शब्दार्थ
<references/>