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417 / हीर / वारिस शाह

जे कोई जंमया मरेगा सभ कोई घड़या भजसी वाह सभ वहनगे वे
मीर पीर वली गौसा कुतब जासन एह सभ पसारड़े ढहनगे वे
जदों रब्ब अमाल<ref>करम</ref> दी खबर पुछे हथ पैर गवाहियां देनगे वे
जदों उमर दी आन मिआद पुगी अजराईल होरी आ वहनगे वे
भन्ने ठूठे तों एड वधा करना बुरा तुध नूं लोक सभ कहनगे वे
जेहा बुरा तूं बोलया रावला वे हड पैर सजाइयां लैनगे वे
कुल चीज फनाह हो खाख वैसी सावत वली अलाह दे रहनगे वे
ठूठा नाल तकदीर दे भज पया वारस शाह होरी सच कहनगे वे

शब्दार्थ
<references/>