भला आख की आनिए नेक पाके जैदे पलू ते पढ़न नमाज आई घर बार तेरा असीं कौण कोई जापे लद के घरों जहाज आई नढे मोहनिए झोटे दोहनिए<ref>दूध दहना</ref> नी अजे तक ना इक थी बाज आई वारस शाह जवानी दी उमर गुजरी अजे तक ना हिरस थीं बाज आई