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442 / हीर / वारिस शाह

असां किसे दे नाल नहीं कुझ मतलब सिरो पा लै के खुशी हो रहे
लोकां मेहने मार बेपती कीती मारे शरम दे अदरी रो रहे
गुसे नाल एह वाल पैकान<ref>तीर</ref> वांगू साडे जिसम दे तीर खलो रहे
वारस शाह ना संग नूं रंग आवे लख सूहे जे विच डबो रहे

शब्दार्थ
<references/>