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468 / हीर / वारिस शाह

जो कुझ तुसी फरमांओ सो जाए आखां दिल जानथी चेलड़ी होइआं मैं
तैनूं पीर जी भुल के बुरा बोली भुली विसरी आन विगोइआं मैं
तेरी पाक जबान दा हुकम लैके कासिद<ref>संदेश देने वाला</ref> होयके आन खलोइआं मैं
वारस शाह दे मोजजे साफ कीती नहीं मुढ दी वढी बदखोइआं मैं

शब्दार्थ
<references/>