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89 / हीर / वारिस शाह

मांउ हीर दी ते लोक करन चुगली तेरी मलकिए धीउ बेआब<ref>बेपत</ref> है नी
असीं मासियां फुफियां लज मोइयां साडा अंदरों जी कबाब है नी
चाक नाल दे नेहुं लगाया सू अठे पहर रहिंदी गरकाब<ref>डूबा हुआ</ref> है नी
तेरी कुड़ी दा मगज है बेगमां दा वेखो चाक जोउ फिरे नवाब है नी
वारस शाह मुंह उंगलियां लोक घतन चढ़ी हीर नूं लोढ़े दी खराब<ref>शरारती</ref> है नी

शब्दार्थ
<references/>