चूचक आखदा मलकीए जमदड़ी नूं गल घुट के काहे ना मारयो ई घुटी ज़हर दी घोल ना दितीआ ई उह अज जवाब नितारियो ई मंझ डूंगड़े धीआ न बोड़ीया ई वहिण रोड़ के मूल ना मारियो ई वारस शाह खुदाए दा खौफ कीता कांरू वांग ना जिमी निघरियो ई