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Sharda monga

प्रिय,आयी मधु की रजनी . सखी आयी मधु की रजनी.


लिए तिमिरांचल में मधु चन्द्र, कृष्ण सारिका टंकी तारिका, गगन में हँसता है मुख चन्द्र,

चन्द्रिका धरती पर छा रही, सुकोमल लतिका सा आभास.

प्रिय आयी मधु की रजनी, सखी आयी मधु की रजनी.

फूल के प्याले में मकरंद, मिलाते हुए तुहिन के संग. तूलिका से ले के मधु कण, धरा पर चित्रांकन की आस, चितेरा भ्रमर रहा संलग्न.


प्रिय आयी मधु की रजनी, सखी आयी मधु की रजनी.

प्रेम की मधुर रागिनी मंद, कोकिला मधुबन में गा रही, धरा पर बासंती छा रही, इसी मधु उत्सव में देखी, प्रिय!प्राणों की छवि अपनी,

प्रिय आयी-मधु की रजनी, सखी आयी मधु की रजनी.


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]]'मोटा पाठ