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भायला / शिवराज भारतीय

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कट्ठै ईसी मौज भायला
भरले सगळी गो‘ज भायला
नीत-रीत पर चालण वाळी
निठरी सगळी फौज भायला।
सत री साख भरया करता बै
अबै नही खुर-खोज भायला।
कदै दडूक्या गुवाडां में
अबै नहीं वो ओज भायला।
कोई रोकै-टोकै कोनी
नूंत जिमाई भोज भायला।