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कदैई उडारी भरणी पडसी / शिवराज भारतीय
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दरखत बैठ्या पांख पंखरू
कदैई उडारी भरणी पड़सी
साथ-सांगळिया ठंडी छाया
मीठा फल से तजणा पड़सी
जिण देसां रो नांव नै जाणै
ठौड़ ठिकाणो गांव नै जाणै
धर कूंचां धर मजलां-मजलां
कूच उठीनै करणो पड़सी
मन रा मीत अबोला ऊबा
भींत पड़ी किचरया मनसूबा
प्रीत पांगळी गूंगी बणनै
चित बगनो-सो तकनो पड़सी
इण देसां री आ ही कहाणी
परापरी री रीत पुराणी
उछळ कुद करती धारा नै
समदर-गोद सोवणो पड़सी।