भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कदैई उडारी भरणी पडसी / शिवराज भारतीय

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:10, 10 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराज भारतीय |संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज




दरखत बैठ्या पांख पंखरू
कदैई उडारी भरणी पड़सी
साथ-सांगळिया ठंडी छाया
मीठा फल से तजणा पड़सी

जिण देसां रो नांव नै जाणै
ठौड़ ठिकाणो गांव नै जाणै
धर कूंचां धर मजलां-मजलां
कूच उठीनै करणो पड़सी

मन रा मीत अबोला ऊबा
भींत पड़ी किचरया मनसूबा
प्रीत पांगळी गूंगी बणनै
चित बगनो-सो तकनो पड़सी

इण देसां री आ ही कहाणी
परापरी री रीत पुराणी
उछळ कुद करती धारा नै
समदर-गोद सोवणो पड़सी।