Last modified on 16 दिसम्बर 2010, at 00:27

बिस्तर / विमल कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:27, 16 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल कुमार }} {{KKCatKavita‎}} <poem> यह बिस्तर भी एक काँटा बन …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यह बिस्तर भी
एक काँटा बन गया है
सोता हूं मैं
काँटों की बिस्तर पर
याद करते हुए
तुम्हें फूलों की तरह