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इश्क़ की इंतिहा हो गई / नित्यानन्द तुषार

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इश्क़ की इंतिहा हो गई
एक सूरत ख़ुदा हो गई

उनसे जैसे ही नज़रें मिलीं
ज़िन्दगी ख़ुशनुमा हो गई

उनको पाना करिश्मा हुआ
बददुआ भी दुआ हो गई

ये महुब्बत भी क्या चीज़ है
धीरे-धीरे नशा हो गई

जो हुआ भूल जाओ 'तुषार'
उनकी सीरत पता हो गई
०००
(ज़रा यूँ भी देखें...)
जो हुआ हो गया छोड़िये
उनकी सीरत पता हो गयी