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अब न कोई मुगालता रखना / नित्यानन्द तुषार

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अब न कोई मुगालता रखना
अपने कद का पता सदा रखना

घर सलामत रखे तुम्हारा जो
दोस्तों से वो फ़ासला रखना

वक़्त के साथ मत बदल जाना
प्यार के पेड़ को हरा रखना

दूर है जो क़रीब होगा वो
अपने होठों पे बस दुआ रखना

मन्ज़िलों पर अगर नज़र है तो
अपनी नज़रों में रास्ता रखना

मिलना-जुलना 'तुषार' मुश्किल हो
फ़ोन करने का सिलसिला रखना