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चूडियां खातर / प्रमोद कुमार शर्मा

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बीड़ी रै बण्डळ स्यूं
निकळै है बीड़ी रै साथै
लुगाई रो एक बाळ !
म्हैं लागूं देखण बीं नै !
तो दिखण लागै
बाळ मांय दौड़ती चेतना
बैठी गुडाळियां बा, पत्तां रै ढेर मांय।
ऐक-मेक हो चुकी है
जिण री घ्राण ग्रन्थियां
तम्बाकू री गंध मांय
जरूर ई बण घड़ी ऐक थम‘र
पूंछयौ हौसी आपरै चूड़ी भरया हाथां सूं
माथै रो पसीनौ
अर केस टूट‘र पड़ग्यो हूसी
पत्तां रै मांय
सच मांय
कांई-कांई करणौ पड़ै लुगायां नै
चूड़ियां खातर !