भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माटी / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:35, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=दीठ / कन्हैया लाल से…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


कोनी
माटी स्यूं
मोटी कोई साच,

सगला
तत
माटी रै पाण
सत,

नही‘स
कुण अणभूतै
बां रो हूणों ?
निरथक हो
सूरज रो तपणो
आभै रो धूणो !

कोनी लादतो
चिड़कली पून नै
कठेई आळो,
किंयां टिकता
बिन्यां पींदै
समदर‘र हियांलो ?

बणगी माटी
सिसटी रो काच,
कोनी माटी स्यूं
मोटी
कोई साच !