भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कठैई रैवै / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:41, 27 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सांवर दइया |संग्रह=आखर री आँख सूं / सांवर दइया }} [[Ca…)
सूरज सागै
संमदर महल में
रंज्योड़ी रात
देखती रैयी
भोर रै घरां जावतै
सूरज नै
जोबन-गुमेज में डूबी
नचींती बा
सावळ जाणै
कठैई रैवै औ
पण
आथण हुवतां हुवतां
आसी पाछो अठै ई
और कठै ढोयी इण नै !