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सोलहवीं मोमबत्ती / प्रदीपचन्द्र पांडे
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सोलहवीं मोमबत्ती के
होते हैं
पंख
वह फूँकने से बुझती नहीं
उड़ने लगती है
जहाँ-जहाँ टपकती हैं
उसकी बूँदें
वहाँ कुछ जलता नहीं
सिंकता-सा है
और सुरक्षित रहता है
सब कुछ
बूँद के नीचे !