भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अग्नि-5 / मालचंद तिवाड़ी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:59, 9 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मालचंद तिवाड़ी |संग्रह= }}‎ {{KKCatKavita‎}}<poem>जलाती नहीं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जलाती नहीं
पकाती है अग्नि
आंवें में घट
धरती में बीज
देह में आत्मा

अग्नि रचती है
जल-थल-नभ-वायु
घट में
बीज में
आत्मा में
खोजती हुई रास्ता
अपनी भास्वरता का !

अनुवादः नीरज दइया