Last modified on 9 जनवरी 2011, at 09:16

लड़ा नहीं / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:16, 9 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लड़ा नहीं है, अपनी मैंने जोट न पाई;
पुण्य प्रकृति की ललित कला ही मुझको भाई;
जीवन-अग्नि जलाई-मैंने देह तपाई,
मंद हुई वह अग्नि, बुझी, दो मुझे विदाई।

डब्ल्यू एस लेंटर की कविता का अनुवाद
रचनाकाल: १२-०८-५६