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कर्ण प्रिय कोमल स्वरों के / केदारनाथ अग्रवाल
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कर्ण प्रिय कोमल स्वरों के पतन पर भी
गीत का संगीत स्मृति में गूँजता है।
नयन प्रिय मनहर सुमन के निधन पर भी
रूप शय्या पर पँखुरियाँ राजती हैं।
प्रेमिका के त्याग पर-प्रस्थान पर भी,
प्रेम को सुधियाँ प्रिया की पालती हैं॥
शैली की कविता ‘म्युजिक ह्वेन साफ्ट वायसेस ड्राई’ का अनुवाद।
रचनाकाल: ०८-०२-५७