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दिन अच्छा है / केदारनाथ अग्रवाल
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दिन अच्छा है
नटी नदी के दृढ़ नितम्ब की तरह खुला है,
पानी जिसको परस रहा है मधुर चाव से
उस नितम्ब को खुले दिवस को जी भर देखो
दिन अच्छा है
बीच खेत में बड़े साँड़ की तरह खड़ा है
गाएँ जिसको निरख रही हैं, मुग्ध भाव से
उस मनचीते वृषभ दिवस को जी भर देखो
रचनाकाल: ०९-०१-१९६१