भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिन अच्छा है / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:29, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("दिन अच्छा है / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिन अच्छा है
नटी नदी के दृढ़ नितम्ब की तरह खुला है,
पानी जिसको परस रहा है मधुर चाव से
उस नितम्ब को खुले दिवस को जी भर देखो

दिन अच्छा है
बीच खेत में बड़े साँड़ की तरह खड़ा है
गाएँ जिसको निरख रही हैं, मुग्ध भाव से
उस मनचीते वृषभ दिवस को जी भर देखो

रचनाकाल: ०९-०१-१९६१