भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गंध महकते अंग / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:47, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("गंध महकते अंग / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
सुंदर हो
अच्छी हो जैसे
फूल-
गंध महकते अंग
खरा निखरता रंग
रचनाकाल: ०८-०४-१९६१