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सुरागरसी में निकला चाँद / केदारनाथ अग्रवाल

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सुरागरसी में निकला चाँद
अपने भाई सूरज को खोजता रहा
और खोजते खोजते डूब भी गया
जैसे भाई सूरज डूब गया

रचनाकाल: ०८-१०-१९६७