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आग / केदारनाथ अग्रवाल

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कुछ है
इस जंगल में
सिवाय जंगल के
जो है आग है
सब के लिए
सिवाय सरकार के लिए
जो न बुझी
भभकी
फिर भभकी
प्रतिकार के लिए
अस्तित्व के अधिकार के लिए

रचनाकाल: २५-१०-१९६७