भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आग / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:31, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("आग / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
कुछ है
इस जंगल में
सिवाय जंगल के
जो है आग है
सब के लिए
सिवाय सरकार के लिए
जो न बुझी
भभकी
फिर भभकी
प्रतिकार के लिए
अस्तित्व के अधिकार के लिए
रचनाकाल: २५-१०-१९६७