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हमारा कोई चेहरा नहीं है अपना / केदारनाथ अग्रवाल
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हमारा कोई चेहरा नहीं है अपना
हम बाहरी चेहरा लगाए हैं
आदमी का
आदमी कहलाने के लिए
हमको नहीं मालुम
हमारा
भीतरी हम
बाहरी हम
जो हमें जी रहा है
हम उसे जानते हैं
अपनी इंद्रियों से
उसका जीना
हमारी जिंदगी है
उसका मरना
हमारी मौत
रचनाकाल: १२-०५-१९६८