भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग ।
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग ।
तहां बचावे अंग,