भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं विप्लव का कवि हूँ ! / मनुज देपावत

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:14, 12 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='मनुज' देपावत |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> मैं विप्लव का क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।

मेरी छंद बध्ध वाणी में नहीं किसी क्रिश्नाभिसारिका के आकुल अंतर की धड़कन;
अरे किसी जनपद कल्याणी के नूपुर के रुनझुन स्वर पर मुग्ध नहीं है मेरा गायन !

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।

मैं न कभी नीरव रजनी के अंचल में छुपकर रोता हूँ;
आंसू के जळ से अतीत के धुंधले चित्र नहीं धोता हूँ;
चित्रित करता हूँ समाज के शोषण का वह शोणित प्लावन ।

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।

आज विकट कापालिक बनकर !
महाप्रलय के शंखनाद से मरघट के सोये मुर्दों को जगा रहा हूँ !
जगा रहा हूँ अभिनव की वह ज्वाल निरंतर,
जलकर जिसमें स्वयं भस्म हो जय पुरातन !

मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन ।