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कविता / मणिका दास
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दरवाज़े पर
दस्तक हुई
दरवाज़ा खोल दिया
भीतर आई
एक मुट्ठी सुनहरे
तिनके लेकर
मेरे प्राणों की
एक चिड़िया
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार