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उन कुछ लड़कियों की दुनियाँ / सतीश छींपा

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कुछ लडकियों की आँखों तले
बहकर
जम गए है सपने
जिनमें कैद है
बेपनाह मोहब्बत दुनिंया के लिए
जो चाहती थी
बांहों में लेना
इन मौसमों को
हवाओं संग चुहल करना
उन कुछ लड़कियों के लिए
अब यहाँ कुछ नहीं रखा
ऐसा वे सोचती है।
फिर भी रच रखी है उन्होंने
अपनी एक न्यारी दुनियां
जहाँ वे स्वतंत्र है
उड़ने को
हँसने को
जामुन के पत्तों पर चुम्बन देकर
होटों का निशान बनाना भी
नहीं समझा जाता बुरा
यहाँ भर सकती है वे कुछ लड़किया
अपनी बांहों में
सारी दुनियां
सारे मौसम
सुख
पीड़ाएँ
प्यार
क्योंकि, यह दुनियां
उन कुछ ही लड़कियों की है।