भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वार्ता:लाठी में गुण बहुत हैं / गिरिधर
Kavita Kosh से
Vaibhav Kumar Nain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:13, 14 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: लाठी में गुण बहुत हैं, सदा रखिये संग । गहरि , नदी , नाली जहाँ, तहां बच…)
लाठी में गुण बहुत हैं, सदा रखिये संग । गहरि , नदी , नाली जहाँ, तहां बचावे अंग ।। तहां बचावे अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै ।