Last modified on 16 जनवरी 2011, at 03:50

भूलना-सीखना / मालचंद तिवाड़ी

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:50, 16 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मालचंद तिवाड़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>बहुत मुश्किल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत मुश्किल नहीं होता सीखना
सारा संसार सीखता है
सीख-सीख कर चलता है
नया होता रहता है
बालक से आइन्सटाईन तलक
बहुत मुश्किल हो जाता है भूलना
इस शास्त्र की तो एक ही पण्डित थीं तुम
भूल कर मुझे भूलना सिखला दिया
देखो, मैं योगी हो गया
भूल गया संसार को
तुम्हें भूलने के पथ पर चलता

अनुवाद : कवि द्वारा