भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खिलौनों की दुकान पर बच्चा / श्यामसुंदर भारती
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:17, 17 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= श्यामसुंदर भारती |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>रोते बच्…)
रोते बच्चे को
गोद में लिए
वह खिलौनों की दुकान में घुसा
“अ ले ले
लो मत
यह देथ हाथी
यह घोड़ा
यह बंदर…
……अ ले ले लो मत ।”
उसने बच्चे को
नीचे उतार दिया
बच्चा कदम-कदम बढ़ाता चला
इतने खिलौनों में
बच्चे को एक चीज पसंद आई
उसने जाकर सीधे बंदूक उठाई ।
अनुवाद : नीरज दइया