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बस दो आवाज़ें / नील कमल

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जनपद की भाषा में
यह पूरा पहाड़, 'खरसाङ' है,
यहाँ आकर ही मालूम होता है
'खरसाङ पर चढ़ना', महज मुहावरा नहीं

यहाँ बसता है, एक ख़ामोश जनपद
यह जनपद और भी ख़ामोश है,
अपनी सबसे ऊँची पहाड़ी, 'डाउ हिल',<ref>कर्सियांग, पश्चिम बंगाल की एक पहाड़ी</ref>पर
इतना ख़ामोश, कि जंगली सूअर, तेंदुआ, बाघ,
चुपचाप उठा ले जाएँ
घुटनों पर चलता
जनपद का भविष्य
तो तलहटी में पत्ता भी न हिले

डाउ हिल पर
काठ के आलीशान बंगलों में
जलती है आग, और कमरों में
तैरता नहीं धुँए का एक भी क़तरा

काठ के बंगलों तक
पहुँच नहीं है, जंगल के कोहरे की
वह तो पसरा रहता है, पहाड़ी बस्तियों में
सात हज़ार फ़ुट की ऊँचाई पर
ज़िन्दा हैं बस दो आवाज़ें,

एक बच्चा सीख रहा है
जनपद की बोली,
डाउ हिल पर
काठ के बंगले में,
कुछ ऑर्किड के
सफ़ेद चकमक फ़ूल
जलते है, अँधेरे में ।

शब्दार्थ
<references/>