भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रकाशित खड़ा है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:15, 20 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=खुली आँखें खुले डैने / …)
प्रकाशित खड़ा है
पारदर्शी दिन
तेजस्वी सूर्य का सिर
ऊपर उठाए
चराचर सृष्टि को
चिन्मय बनाए
मुझे
आत्मीय भाव से
अपनाए।
रचनाकाल: १६-०९-१९९१